निजी डाटा का अब कोई भी गलत इस्तेमाल नहीं कर सकेगा। निजी डाटा का इस्तेमाल करने से पहले अब किसी भी सरकारी और गैर-सरकारी संस्था या डिजिटल प्लेटफार्म को यूजर की इजाजत लेनी होगी।
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शुक्रवार को इलेक्ट्रानिक्स और आइटी मंत्रालय ने डिजिटल निजी डाटा सुरक्षा कानून के प्रस्तावित मसौदे को सार्वजनिक परामर्श के लिए जारी किया। प्रस्ताव के मुताबिक निजी डाटा का इस्तेमाल करने से पहले यूजर को साफ और सरल तरीके से संविधान में शामिल भाषा में पूरी जानकारी देनी होगी। इतना ही नहीं डाटा प्रोटेक्शन अधिकारी का नंबर और पता भी देना होगा, ताकि जरुरत पड़ने पर यूजर उस अधिकारी से संपर्क कर सके।
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बिल की खास बातें
बैंक खाता खुलवाने के दौरान फार्म पर लिखा होगा कि निजी डाटा संबंधित दस्तावेज का इस्तेमाल सिर्फ केवाईसी के लिए होगा।
बैंक में खाता बंद कराने के बाद केवाईसी नियम के तहत तय समय तक बैंक आपके डाटा को रख सकेगा।
इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म पर अपना अकाउंट बंद करते ही उसे यूजर के निजी डाटा को हटाना होगा।
निजी डाटा जहां लिया जाएगा, वह एक कंसेंट मैनेजर होगा जो डाटा कानून पालन के लिए जिम्मेदार होगा।
सभी संंस्थाओं का कंसेंट मैंनेजर डाटा सुरक्षा बोर्ड में पंजीकृत होगा।
डाटा सुरक्षा बोर्ड की हैसियत सिविल कोर्ट की होगी व बोर्ड के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी जा सकेगी।
डाटा के जिम्मेदार किसी भी ऐसे डाटा को नहीं रख सकेंगे जो देशहित को प्रभावित करें।
बच्चों के व्यवहारा से जुड़े डाटा को नहीं लिया जाएगा।
विदेश में डाटा शेयर करने पर रोक होगी। हालांकि कुछ देशों के साथ शेयर करना संभव होगा, लेकिन उन देशों का विवरण बाद में दिया जाएगा।
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