लोक नृत्य एवं परंपरा : लोक गायन, लोक नृत्य और लोक संस्कृति के क्षेत्र में बिहार की प्रसिद्दी विश्वस्तरीय है. लोकगीतों पर झूम-झूम कर अपनी कला का प्रदर्शन करने वाले कई नृत्य बिहार में प्रचलित हैं जिनमें से एक है कठफोड़वा नृत्य, जो आज भी लोकगीतों की संस्कृति को जिवंत किये हुए है.
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कठफोड़वा नृत्य बिहार का प्रसिद्द लोक नृत्य है तथा यह नृत्य शादी-विवाह, मुंडन, धार्मिक- अनुष्ठान, पर्व-त्यौहार एवं मांगलिक समारोहों आदि के अवसर पर शौकिया तौर पर मनोरंजन के लिए किया जाता है. लकड़ी व बांस की खपच्चियों द्वारा निर्मित तथा रंग-बिरंगे वस्त्रों द्वारा सुसज्जित घोड़े की पीठ के ऊपरी भाग में आकर्षक वेशभूषा एवं मेकअप से सजा नर्तक अपनी पीठ से बंधे घोड़े के साथ नृत्य करता है.
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इस लोक कला को पांच से सात लोगों का समूह प्रस्तुत करता है. मृदंग और झाल की धुन पर दल के लोग गाते हैं और गले में बांस के बने घोड़े के ढांचे को लटकाकर एक व्यक्ति घुड़सवार सैनिक बनकर नृत्य करता है.
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यह नृत्य बिहार में पहले काफी प्रचलित था,लेकिन अब इसका प्रचालन समाप्त होता जा रहा है. इसके ग्रामीण इलाकों में आज भी लोक संस्कृति की पुरानी परंपरा कुछ हद तक कायम है.
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